सर्दियों के मौसम में मुर्गीपालन करते समय कुछ विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। अगर हम जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन से अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा जिसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगें, सर्दियों के मौसम में मुर्गीपालन।
हालांकि बड़ी मुर्गियां गर्मी की अपेक्षा सर्दी आसानी से सह लेती हैं। बड़ी मुर्गियों के मामले में केवल उनको गर्मी के समय ही सुरक्षित रखने की सावधानी बरतना ही काफी होता है। लेकिन अगर हम जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन अधिक फायदा लेना चाहते हैं, तो चूजे लाने से पहले और चूजा लाने के बाद निम्नलिखित बातें ध्यान में अवश्य रखनी चाहिए।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिलकुल नहीं कराएँ क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है। शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें। चूजों के आने के कम से कम 2 से 4 घंटे पहले ब्रूडर चालू किया हुआ होना चाहिए।
सर्दियों के मौसम में मुर्गीपालन करते समय चूजों को ठंड से बचाने के लिए गैस ब्रूडर, बांस के टोकने के ब्रूडर, चद्दर के ब्रूडर, पट्रोलियम गैस, सिगड़ी, कोयला, लकड़ी के गिट्टे, हीटर इत्यादी की तैयारी चूजे आने के पूर्व ही कर लेना चाहिए। जनवरी माह में अत्यधिक ठंड पड़ती है अतः इस माह में चूजा घर का तापमान 95 डिग्री फेरनहाईट होना अति आवश्यक है। फिर दूसरे सप्ताह से चैथे सप्ताह तक 5-5 डिग्री तापमान कम करते हुए, ब्रूडर का तापमान उतना कर देना चाहिए की चूजें ठंढ से बचे रहें और उन्हें ठंढ ना लगे। सामान्यतः ब्रूडर का तापमान कम करते हुए 80 डिग्री फारेनहाइट तक कर देना चाहिए।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन में चूजों को ठण्ड लगने से सर्दी – खांसी की बीमारी होने का डर रहता है इसलिए जाड़ें में मुर्गियों को अधिक से अधिक एमिनोपॉवर दें क्योंकि एमिनोपॉवर (Amino Power) में प्रोटीन्स की मात्रा काफी अधिक होती है, जो की न केवल मुर्गियों को ठंढ के प्रकोप से बचाता है बल्कि उनका वजन बहुत ही तेजी से बढ़ाता है। जाड़ें में मुर्गियों को एमिनोपॉवर (Amino Power) पहले दिन से लेकर पंद्रह वें दिन तक अवश्य दें। एमिनोपॉवर (Amino Power) पंद्रहवें दिन के बाद भी दे सकतें है, जितना अधिक एमिनोपॉवर (Amino Power) देंगें उतना ही अधिक मुर्गियों का वजन बढ़ेगा, रोग प्रतिरोधी छमता बढ़ेगी और ठंढ से लड़ने की शक्ति मिलेगी। एमिनोपॉवर (Amino Power) ४६ तत्वों का एक अद्भुत दवा है, जिसमें मुख्यतः सभी प्रोटीन्स, विटामिन्स और मिनरल्स मिलाकर बनाया गया है।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन के लिए मुर्गी आवास का प्रबंधनः
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गी आवास को गरम रखने के लिए हमे पहले से ही सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि जब तापमान १० डिग्री सेण्टीग्रेड से कम हो जाता है तब मुर्गीपालन के आवास में ओस की बूंद टपकती है इससे बचने के लिए मुर्गीपालकों को अच्छी ब्रूड़िग करना तो आवश्यक है ही, साथ ही मुर्गी आवास के ऊपर प्लास्टिक, बोरे, फट्टी आदी बिछा देना चाहिए एवं साइड के पर्दे मोटे बोरे और प्लास्टिक के लगाना चाहिए, ताकि वे ठंडी हवा के प्रभाव को रोक सकें। रात में जाली का लगभग 2 फीट नीचे का हिस्सा पर्दों से ढक दें। इसमें खाली बोरी और प्लास्टिक आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे अंदर का तापमान बाहर की अपेक्षा ज्यादा रहेगा। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय एक अंगीठी या स्टोव मुर्गी घर में जला दें। इस बात का ध्यान रखें की अंगीठी अंदर रखने से पहले इसका धुऑं बाहर निकाल दें।
मुर्गी घर की संरचना:
मुर्गी घर को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि दिन के समय अधिकतम धूप शेड में प्रवेश करे। मुर्गियां को ठण्डी हवा से बचाना चाहिए, इसके लिए जिन स्थानों से ठण्डी हवा प्रवेश करती है, उसे ढक देना चाहिए। मुर्गियां अपनी सांसों और मल विसर्जन से बहुत अधिक नमी छोड़ती हैं जो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यदि हवा बाहर निकलने का उचित प्रबंध नहीं है तो इससे हवा में अमोनिया का निर्माण होता है जो की विभिन्न बिमारियों का कारण बनता है इसलिए मुर्गी घर के चारों ओर से हवा आने और निकलने की ब्यवस्था होनी चाहिये। बेहतर वेंटिलेशन के लिए के लिए अशुद्ध हवा को बाहर निकलने के लिए एग्जास्ट पंखे की व्यवस्था होनी चाहिए।
सर्दियों में मुर्गीफार्म में लीटर (बिछाली) की व्यवस्थाः
चूजों को फार्म में रखने से पहले, फर्श की सतह को लीटर (बिछाली) से अच्छी तरह से ढक देना चाहिए। यह पक्षियों को आराम देता है और ठंढ से बचाता है। एक अच्छी गुणवत्ता वाला लीटर (बिछाली) एक समान तापमान बनाए रखने में एक इन्सुलेटर के रूप में कार्य करता है, नमी को भी अवशोषित करता है और नमी सुखा ने में मदद देता है। सर्दियों में मुर्गी घरों में करीब 6 इंच ऊँची लीटर (बिछाली) की जरूरत होती है। लीटर (बिछाली) सर्दियों के दौरान पक्षियों को गर्मी देते हैं। लीटर (बिछाली) को हमेशा सूखा रखने का कोशिश करें। अगर लीटर (बिछाली) में नमी रहेगी तो मुर्गियों के लिए नुकसान देह होगा और बीमारी फैलने का खतरा रहेगा। लीटर (बिछाली) पर हमेशा विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव करतें रहें ताकि बीमारी होने का खतरा नहीं रहे।
जाड़े के मौसम में मुर्गी पालन हेतु मुर्गीघर की सफाई:
जाड़े के मौसम आने से पहले ही पुराना बुरादा, पुराने बोरे, पुराना आहार एवं पुराने खराब पर्दे इत्यादि बदल देना चाहिए। पानी यदि मुर्गीघर के आसपास इक्क्ठा हो तो ऐसे पानी को निकाल देना चाहिए और उस जगह पर विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव कर देना चाहिए। मुर्गीघर के चारों तरफ उगी घास, झाड़, पेड़ आदि को नष्ट कर देना चाहिए। दाना गोदाम की सफाई करनी चाहिए एवं कॉपर सल्फेट युक्त चूने के घोल से पुताई कर देनी चाहिए ऐसा करने से फंगस का प्रवेश मुर्गी दाना गोदाम में रोका जा सकता है। कुंआ, दीवाल आदि की सफाई कर विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव कर देना चाहिए। पुरे मुर्गीघर को विराक्लीन (Viraclean) नाम की दवा छिड़काव करनी चाहिए, इस दवा को मुर्गी घर में हर रोज छिड़काव करनी चाहिए और मुर्गी के खाने और पिने के वर्तनों को हर रोज विराक्लीन (Viraclean) के घोल के पानी से धोना चाहिए , इस दवा के प्रयोग से किसी भी संक्रामक रोगों का खतरा नहीं रहता है और ये दवा काफी प्रभावकारी है।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन में दाने एवं पानी का प्रबंधन:
शीतकालीन मौसम में मुर्गीदाना की खपत बढ़ जाती है यदि मुर्गीदाना की खपत बढ़ नही रही है तो इसका मतलब है कि मुर्गियों में किसी बीमारी का प्रकोप चल रहा है। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गियों के पास मुर्गी दाना हर समय उपलब्ध रहना चाहिए।
शीतकालीन मौसम में पानी की खपत बहुत ही कम हो जाती है क्योंकि इस मौसम में पानी हमेशा ठंडा ही बना रहता है इसलिए मुर्गी इसे कम मात्रा में पी पाती हैं से बचने के लिए मुर्गीयों को बार-बार शुद्ध और ताजा पानी देते रहना चाहिए। पानी को शुध्द और विषाणु रहित बनाने के लिए इसमें एक्वाक्योर (Aquacure) मिलाना चाहिए। मुर्गियों की पिने की पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें, इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा। ठंढ के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गियों को पिने के लिए गुनगुना पानी ही दिया करें। अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के लिए पोलिथीन के छोटे गोल शेड से ढक कर, हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं। मुर्गियों की पिने का पानी शुद्ध, साफ और कीटाणु रहित होनी चाहिए, पानी को शुद्ध और साफ करने के लिए आप पानी में नियमित रूप से एक्वाक्योर (Aquacure) मिलाकर दें।
इस प्रकार से जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय अगर उपरोक्त बातों को ध्यान में रखा जाए तो हमारे मुर्गीपालक जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गीयों को ठंड से तो बचाएंगे ही पर साथ ही अच्छा उत्पादन कर अधिक से अधिक लाभ भी कमा सकेंगे।